शैलेंद्र के गीत कैसे बने क्रांतिकारी आंदोलनों कि प्रेरणा?

किताबीयत : धरती कहे पुकार के..

फिल्मी दुनिया में शैलेंद्र एक ऐसे गीतकार हुए हैं, जिन्होंने अपने गीतों के जरिए आम आदमी के जज्बात को बड़े फलक तक पहुंचाया। उनके सुख-दुःख में अपने गीतों के मार्फत वे शरीक हुए। उन्हें नया हौसला,

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लाज़वाब किस्सों से भरी थी जोश मलीहाबादी कि ज़िन्दगानी

किताबीयत : यादों की बरात

काम है मेरा तगय्युर (कल्पना), नाम है मेरा शबाब (जवानी)

मेरा नाम इंकलाबो, इंकलाबो, इंकिलाब।

उर्दू अदब में जोश मलीहाबादी वह आला नाम है, जो अपने इंकलाबी कलाम से शायर-ए-इंकलाब कहला। जोश का

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udbhavana prakashan

उर्दू और हिन्दी तरक्की पसंद साहित्य का अहम दस्तावेज़

किताबीयत : तरक्कीपसंद तहरीक के हमसफर

प्रगतिशील साहित्य आंदोलन को बीत गये अब जमाने हो गये उसके बड़े बड़े महारथीयो का दौर खत्म हो गया 1955-60 के दौर नई तहरिक ने जन्म लिया जिसे हम आधुनिक साहित्य आंदोलन (जदिदीयत) कहते हैं

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‘दास्ताने मुग़ल-ए-आज़म’ सुनने का एक और आसिफ़

किताबीयत : दास्ताने मुग़ल-ए-आज़म

मुग़ल-ए-आज़म में दो मुग़ल-ए-आज़म थे। बादशाह अकबर और करीमउद्दीन आसिफ़। जिन्हें दुनिया के आसिफ़ के नाम से जानती है। आसिफ़ को अपने सपनों से ही प्यार नहीं था, अपने वतन से भी था।

आसिफ़ के सपने एक नए मुल्क के

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औरंगजेब ने होली के साथ ईद पर भी लगाई थी रोक

क़िताबीयत : औरंगज़ेब दि मॅन अँड दे मिथ

रंगज़ेब और आरक्षण। इससे ज़्यादा लिखने की कोई ज़रूरत नहीं है। इन दो शब्दों को देखते ही पढ़ने वाले के दिमाग़ में जो भ्रांतियां मौजूद हैं वो बाहर आने लगती हैं। लोगों के मन में भ्रांतियों

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डॉ. इकबाल के युरोप की जिन्दगी का असल दस्तावेज

क़िताबीयत : इकबाल युरोप में

डॉ. मुहंमद इकबाल उर्दू के विख्यात दार्शनिक कवि हैं। गालिब के बाद उर्दू साहित्यविश्व पर सर्वाधिक जादू इकबाल के नजमों का ही हैं। इकबाल का उल्लेख किए बिना उर्दू साहित्य का इतिहास पुरा नही हो पाता। इकबाल दुनिया के उन

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