जब एक वोट ने बदल कर रख दिया इतिहास !

चुनावी राजनीति मे वोट का महत्त्व उससे पुछीए जो, एक-एक वोट जोड़ने के लिए गरमी, तुफान तथा बारिश की परवाह किए बगैर ग्रामीण इलाकों के दौरे करता हैं। एक वोट की किमत उस पार्षद से पुछीए जो एक बार हारा तो फिर से कभी

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समान नागरी कानून और मुसलमानों की चुनौतीयां

ब भी यूनिफार्म सिविल कोड को लागू करने की बात होती हैं तो मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जाता हैं और मुजरिम के कटघरे में खड़ा कर दिया जाता हैं। मगर यहाँ दो अहम सवाल हैं कि आखिर आज मुसलमानों की यूनिफार्म

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सीएए कोर्ट में विचाराधीन, फिर लागू करने की जल्दी क्यों?

न दिनों (जून 2021) देश कोरोना महामारी के दुष्प्रभावों से जूझ रहा है। इस बीमारी से बड़ी संख्या में मौतें हुईं हैं और अस्पतालों में दवाओं से लेकर ऑक्सीजन और बिस्तरों से लेकर डॉक्टरों तक की गंभीर कमी सामने आई है।

इस संकटकाल में

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‘सम्पूर्ण क्रांति’ : लोकतंत्र के चौकीदारी का नारा

र व्यक्ति-देश-समाज-संस्कृति का अपना एक स्मृति-संसार होता है। जिसमें विशिष्ट व्यक्तियों, घटनाओं, तिथियों और अभियानों से प्रेरणा मिलती है। उन्हें स्मरणीय और अनुकरणीय माना जाता है।

इस क्रम में आधुनिक भारत की नव-निर्माण यात्रा में तीन तारीखों का ऐतिहासिक महत्व है: पूर्ण स्वराज के

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बीजेपी राज में दलितों का सामाजिक हाशियाकरण

गुजरात के अहमदाबाद के नजदीक एक गांव में एक दलित युवक ने मूंछें रख लीं। उसकी जम कर पिटाई की गई और उसकी मूंछें साफ कर दी गईं। कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के गोनी बीडू पुलिस थाना क्षेत्र में एक दलित युवक को गांववालों …

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राजनीतिक फैसलों से बारूद के ढेर पर खड़ा ‘शांतिप्रिय लक्षद्वीप’

क्षद्वीप भारत का ऐसा प्रदेश हैं जो इस से पहले शायद ही कभी इतना चर्चा में रहा हो, मगर आज यही जगह चर्चा का केंद्र बना हुआ हैं। इस की मुख्य वजह हैं लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के फैसले। इन फैसलों को

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भारत में आरक्षण आंदोलनों का इतिहास और प्रावधान

भारत में आरक्षण एक संवेदनशील विषय रहा हैं। पिछले कुछ दशकों में यह मुद्दा सामाजिक और राजनीतिक दृष्टी से बहुत संवेदनशील बन चूका हैं। भारत में इस पर राजनीति के एक लंबे दौर के हम गवाह हैं।

देश ने आरक्षण के लिए आंदोलनों का

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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, समाज बांटने के प्रयोग कब तक ?

वाराणसी की जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद के अतीत की पड़ताल करने का निर्देश दिया है। उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991 के अनुसार, सभी आराधना स्थलों में वही यथास्थिति रहेगी जो स्वाधीनता के समय थी। ऐसी खबर

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‘डिजिटल मीडिया सेन्सरशिप’ या सरकारविरोधी खबरों पर लगाम !

मैंने हाल ही में एक किताब लिखने का काम पूरा किया है। इसका शीर्षक है प्राइस ऑफ मोदी ईयर्सयानी मोदी काल की कीमत। यह किताब इस साल प्रकाशित होकर आ जाएगी। दरअसल इसमें 2014 के बाद के भारत का

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क्यों बढ़ रहे हैं भारत में ईसाई अल्पसंख्यकों पर हमले ?

हाल में जारी अपनी रिपोर्ट में फ्रीडम हाउसने भारत का दर्जा फ्री’ (स्वतंत्र) से घटाकर पार्टली फ्री’ (अशंतः स्वतंत्र) कर दिया है। इसका कारण है भारत में व्याप्त असहिष्णुता का वातावरण और राज्य का पत्रकारों

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