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स्वदेशी आग्रह के लिए गांधी से उलझने वाले हसरत मोहानी

क गठीला नौजवान अलीगढ़ कॉलेज के छात्रावास में दाखील हुआ। उसकी पेशानी चौडी थी और चेहरा पसरा हुआ गोल, आँखों पर चष्मा, खुबसुरत शेरवानी, हवा से लहराता हुआ पजामा, चेहरे पर तराशी हुई लंबी सी दाढी, बगल में कपडों कि अटैची और एक हाथ

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‘मशाहिरे हिन्द’ बेगम निशात उन् निसा मोहानी

भारत के स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं ने अपनी अग्रणी भूमिका निभाई हैं। कई स्त्रिया ऐसी थी, जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी स्वतंत्र पहचान स्थापित की थी। तो कई खवातीनें ऐसी थीं जो अपने खाविंद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ब्रिटिशों के खिलाफ आजादी

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