चरमपंथ ‘वैश्विक राजनैतिक एजेंडा’ कैसे बना?

बीस साल पहले 9/11, 2001 की दिल को हिला देने वाली त्रासदी, जिसमें करीब 3,000 निर्दोष लोग मारे गए थे। इसके बाद अमरीकी मीडिया ने एक नया शब्द गढ़ा, ‘इस्लामिक चरमपंथ’। यह पहली बार था जब चरमपंथ और आतंकवादियों को किसी धर्म से जोड़ा

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क्या कश्मिरीयों की दिल कि दूरी बन्दूक की नोंक से कम होगी ?

साल 2019 के पांच अगस्त को राष्ट्रपति ने एक अध्यादेश जारी कर कश्मीर को स्वायत्तता प्रदान करनी वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया। यह अनुच्छेद कश्मीर के भारत में विलय का आधार था और कश्मीर को रक्षा, संचार, मुद्रा

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राजनीतिक पार्टीयों के लिए ‘धर्मनिरपेक्षता’ चुनावी गणित तो नही !

भारत को एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली। यह संघर्ष समावेशी और बहुवादी था। जिस संविधान को आजादी के बाद हमने अपनाया, उसका आधार थे स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के वैश्विक मूल्य।

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संविधान बनाम धार्मिक राष्ट्रवाद कहीं चालबाजी तो नहीं?

भाजपा ने 2015 के संविधान दिवस के आयोजन पर धर्मनिरपेक्षता की धारणा पर कुछ सवाल खड़े किए। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उस दलील को दोहराया जिसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परिवार अर्से से उठाता रहा है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता शब्द की

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नेहरू को नजरअंदाज करने की कोशिशे क्यों हो रही हैं?

पिछले कुछ सालों से, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी द्वारा भारत के पहले प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरु की विरासत को नज़रंदाज़ और कमज़ोर करने के अनवरत और सघन कोशिश की जा रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में उनका नाम लेने से

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इन्सानियत को एक जैसा रख़ती हैं भक्ति-सूफी परंपराएं

क्ति-सूफी परंपराएं मानवता को एक करती हैं चाहे मुद्दा चरमपंथी हिंसा का हो या संकीर्ण राष्ट्रवाद का, दुनिया के सभी हिस्सों में धर्म के मुखौटे के पीछे से राजनीति का चेहरा झांक रहा है। 

वर्तमान दौर में धार्मिक पहचान का इस्तेमाल, राजनैतिक

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दलित समुदाय दिल्ली दंगों में मोहरा क्यों बना?

दिल्ली में हुए खून-खराबे, जिसे मुसलमानों के खिलाफ हिंसा कहना बेहतर होगा, ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। विभिन्न टिप्पणीकार और विश्लेषक यह पता लगाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं कि इस हिंसा के अचानक भड़क उठने के

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