अभिनय के साथ दिलीप कुमार की राजनीति में भी थी चमक

हिन्दी सिनेमा के लिजेंड दिलीप कुमार आज हमारे बीच नही हैं। पर उनकी यादे, उनसे जुड़ी बाते और उनकी जीवनी हम सब के लिए एक दिशादर्शक हैं। जिसकी चर्चा करना लाजमी हो जाता हैं।

40 के दशक में फ़िल्मों में आने से पहले दिलीप

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साहिर की बरबादीयों का शोर मचाना फिजुल हैं

शायर जब जिन्दा होता हैं तो वह लोगों के लिए मरा हुआ होता हैं। और जब वह मर जाता हैं तो लोगों के लिए वह जिन्दा हो जाता हैं। जो लोग उससे मुँह फेरते थें वही उसके मरने के बाद उसपर कसिदे गढते हैं

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