किसी तलवार से कम नही थी ‘मजाज़’ की शायरी!

सरारुल हक मजाज की खूबसूरत, पुरसोज शायरी के पहले भी सभी दीवाने थे और आज भी उनकी मौत के इतने सालों बाद, यह दीवानगी जरा सी कम नहीं हुई है। मजाज सरापा मुहब्बत थे। तिस पर उनकी शख्सियत भी दिलनवाज

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मुल्क की सतरंगी विरासत के बानी थे राहत इंदौरी

अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे

फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे।

कुछ ऐसे ही हालात हैं, शायर राहत इंदौरी के इस जहान-ए-फानी से जाने के बाद। उनको चाहने वाला हर शख्स, इस महबूब शायर को अपनी-अपनी तरह

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