किसी तलवार से कम नही थी ‘मजाज़’ की शायरी!

सरारुल हक मजाज की खूबसूरत, पुरसोज शायरी के पहले भी सभी दीवाने थे और आज भी उनकी मौत के इतने सालों बाद, यह दीवानगी जरा सी कम नहीं हुई है। मजाज सरापा मुहब्बत थे। तिस पर उनकी शख्सियत भी दिलनवाज

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मजाज़ से मिलने लड़कियां चिठ्ठियां निकाला करती थीं

सूफी शायर उस्मान हारूनी के इस शेर का मतलब है।। मेरे महबूब ये तमाशा देख कि तेरे चाहने वालों के हूजूम में हूं और रूसवाइयों के साथ, बदनामियों के साथ, सरे बाज़ार में नाच रहा हूं।

उस्मान हारूनी के इस शेर की गर्मी मजाज़ …

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