‘दास्ताने मुग़ल-ए-आज़म’ सुनने का एक और आसिफ़

किताबीयत : दास्ताने मुग़ल-ए-आज़म

मुग़ल-ए-आज़म में दो मुग़ल-ए-आज़म थे। बादशाह अकबर और करीमउद्दीन आसिफ़। जिन्हें दुनिया के आसिफ़ के नाम से जानती है। आसिफ़ को अपने सपनों से ही प्यार नहीं था, अपने वतन से भी था।

आसिफ़ के सपने एक नए मुल्क के

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क्या हिन्दी को रोमन लिपि के सहारे की जरूरत हैं?

जानेमाने लेखक और कथाकार डॉ. असगर वज़ाहत ने हिन्दी भाषा पर रोमन लिपि के आक्रमण पर चर्चा करता एक विस्तृत लेख लिखा था, जिसपर काफी चर्चा हुई थी वह आलेखडेक्कन क्वेस्ट पर पुनर्प्रकाशित किया गया जिसका जवाब डॉ.

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सूफी-संत मानते थे राम-कृष्ण को ईश्वर का ‘पैगम्बर’

भारत के सांझी विरासत को सहजने में सूफी-संतो का बड़ा योगदान रहा हैं। वे हिन्दू और मुस्लिम जनता दोनो के करीब थे। हजारो कि संख्या में लोग उनके पास आते थे। सूफी ‘वहादत अल वजूद’ (जीव कि एकता) के सिद्धान्त मे यकिन करते थे। …

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