‘कशकोल’ : उर्दू अदब को चाहने वालों के लिए नायाब तोहफा

किताबीयत : कशकोल

बीते साल आई किताब दास्तान-ए-मुग़ल-ए-आज़मकी चर्चा अभी थमी नहीं है कि वरिष्ठ लेखक, पत्रकार और हिंदी सिनेमा के गहन अध्येता राजकुमार केसवानी की एक और शानदार किताब कशकोलआ गई है। किताब की टैगलाइन

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शोषित वर्गों के हक में आग उगलती थी कृश्न चंदर की कलम

र्दू अदब के अफसानानिगार कृश्न चंदर ने बेशुमार लिखा हैं। हिंदी और उर्दू दोनों ही जबानों में समान अधिकार के साथ लिखा। कृश्न चंदर की जिन्दगी के ऊपर तरक्कीपसंद तहरीक का सबसे ज्यादा असर पड़ा।

यह अकारण नहीं है कि उनके ज्यादातर अफसाने समाजवाद

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मर्दवादी सोच के खिलाफ ‘अंगारे’ थी रशीद ज़हां

डॉ. रशीद ज़हां, तरक्कीपसंद तहरीक का वह उजला, चमकता और सुनहरा नाम है, जो अपनी 47 साल की छोटी सी जिन्दगानी में एक साथ कई मोर्चों पर सक्रिय रहीं।

उनकी कई पहचान थीं मसलन अफसानानिगार, नाटककार, पत्रकार, डॉक्टर

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