जब तक रफी के गीत नही होते, हिरो फिल्में साईन नही करते!

ता भारत रत्न, मुहंमद रफी क्यों नहीं?अक्सर यह सवाल शहंशाह-ए-तरन्नुम मुहंमद रफी के चाहने वाले पूछते हैं, लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं हैं। क्यों हमने अपने इस शानदार गायक की उपेक्षा की है? ‘भारत रत्न’, तो छोड़िए

यहाँ क्लिक करें

उम्दा गायक ही नहीं, दरिया दिल भी थे मुहंमद रफी !

नवरी, 1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जब मुहंमद रफी ने ‘सुनो सुनो ऐ दुनिया वालों, बापू की ये अमर कहानी’ गीत गाया, तो इस गीत को सुनकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की

यहाँ क्लिक करें