कवि नही दर्द की जख़िरा थे सय्यद मुत्तलबी फ़रीदाबादी

र्दू शायरी के बारे में एक आम राय यह है कि वह ऊंचे तबके के शहरी लोगों की शायरी है जिसका गांव के जीवन और ग़रीब लोगों से कोई ताल्लुक नहीं है। लेकिन उर्दू में ऐसे शायरों की कमी नहीं है जिन्होंने अवाम की

यहाँ क्लिक करें