पहुंचे हुए चमत्कारी फकीर थे मलिक मुहंमद जायसी

क दिन कवि मलिक मुहंमद जायसी ने पोस्तीनामाशीर्षक पद्य की रचना की और उसे सुनाने के लिए अपने गुरु मुहिउद्दीन के पास पहुंचे। उनके गुरुदेव वैद्यों के आदेश एवं अनुरोध पर रोज पोस्त (अफीम) का पानी पीते थे। जायसी की व्यंग्यपूर्ण

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रजिया सुलताना, शेरशाह और जायसी को डॉ. लोहिया बाप मानते थें

राम मनोहर लोहिया हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रवर्तक के रूप में जाने जाते हैं। हिन्दू-मुसलमानों के सांप्रदायिकता पर उन्होंने 3 अक्तूबर 1963 को हैदराबाद में एक लंबा भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने इस मसले का हल बताया था। आज डॉ. लोहिया कि पुण्यतिथि के अवसर पर …

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