दकनी सभ्यता में बसी हैं कुतुबशाही सुलतानों कि शायरी

कुली कुतुबशाह एक प्रसिद्ध दकनी शायर था। उसे उर्दू कविताओ का आद्यकवि माना जाता हैं। उसने कविताओ को फारसी से छुडाकर हिन्दवी और दकनी जुबान में ढाला। जिसे बाद में वली औरंगाबादी ने देशभर में  ले जाने का काम किया।

कहा जाता हैं कि उससे

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दकनी को बड़ा ओहदा दिलाने वाले तीन कुतुबशाही कवि

कुली कुतबशाह कला और साहित्य का बडा भोक्ता था। वह खुद एक अच्छा कवि था। जिसने कई बेहतरीन रचनाएं कि हैं। उसके बारे में कहा जाता हैं कि उसने शायरी और कविताओं को फारसी के चंगुल से छुडाया हैं और दकनी और

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