एहसान दानिश की पहचान ‘शायर-ए-मजदूर’ कैसे बनी?

र्दू अदब में एहसान दानिश की पहचान, ‘शायर-ए-मजदूर के तौर पर है। मजदूरों के उन्वान से उन्होंने अनेक गजलें, नज्में लिखीं। वे एक अवामी शायर थे। किसानों, कामगारों के बीच जब दानिश अपना कलाम पढ़ते थे, तो एक

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कम्युनिज्म को उर्दू में लाने की कोशिश में लगे थे जोय अंसारी

मुल्क में तरक्की पसंद तहरीक जब परवान चढ़ी, तो उससे कई तख्लीककार जुड़े और देखते-देखते एक कारवां बन गया। लेकिन इस तहरीक में उन तख्लीककारों और शायरों की ज्यादा अहमियत है, जो तहरीक की शुरुआत में जुड़े, उन्होंने मुल्क में साम्यवादी

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