अब भी याद करते हैं तेलंगानावासी कुली क़ुतुब शाह को!

मुहंमद कुली क़ुतुब शाह को अपने आबा व अजदाद के मुकाबले बहोत कम उम्र मिली थी। दुसरी तमाम बातों में कुदरत ने इनपर बड़ा करम किया था। मालो व दौलत, फतेह व कामरानी, अमन व इत्मिनान जितना इनको मिला था उतना किसी

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दकनी सभ्यता में बसी हैं कुतुबशाही सुलतानों कि शायरी

कुली कुतुबशाह एक प्रसिद्ध दकनी शायर था। उसे उर्दू कविताओ का आद्यकवि माना जाता हैं। उसने कविताओ को फारसी से छुडाकर हिन्दवी और दकनी जुबान में ढाला। जिसे बाद में वली औरंगाबादी ने देशभर में  ले जाने का काम किया।

कहा जाता हैं कि उससे

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