बादशाह, उलेमा और सूफी संतो कि ‘दावत ए ख़ास’

ध्यकाल में इफ्तार कि दावतों का विशेष महत्त्व था। इन्हीं दावतों के जरिए विद्वानों कि परिचर्चा, मनमुटाव कि बैठकों तथा स्नेहमिलन का आयोजन किया जाता था।

‘दावत ए ख़ास’ के नाम से मशहूर यह इफ्तार भोज समाज के तीन भिन्न वर्गोंद्वारा आयोजित किया जाता

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