अनुवाद में कठिन शब्दों को निकालने कि ‘आज़ादियां’ है

पंडित रतन नाथ सरशार’ (1846-1903) उर्दू के एक विलक्षण लेखक थे जिनकी सबसे बड़ी रचना तीन हज़ार पृष्ठों में फैला उपन्यास फ़सान-ए-आज़ादहै जिसे 19वीं शताब्दी के सामाजिक – सांस्कृतिक इतिहास का एक प्रामाणिक दस्तावेज भी माना जाता है।

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