बीजेपी राज में दलितों का सामाजिक हाशियाकरण

गुजरात के अहमदाबाद के नजदीक एक गांव में एक दलित युवक ने मूंछें रख लीं। उसकी जम कर पिटाई की गई और उसकी मूंछें साफ कर दी गईं। कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के गोनी बीडू पुलिस थाना क्षेत्र में एक दलित युवक को गांववालों …

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मुग़ल और सिक्खों का टकराव ‘धर्म’ नहीं बल्कि ‘सत्ता संघर्ष’ से था !

पिछले हफ्ते 1 मई को नौवें सिख गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती थी। गुरुजी का सिख पंथ को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने अपने सिद्धान्तों की खातिर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। वैसे गुरू नानकजी द्वारा स्थापित सिख धर्म,

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कोरोना संकट, सरकार और सांप्रदायिकता इतिहास में सब दर्ज

कोरोना वायरस से हालात बिगड़ने के लिए जैसे ही सरकार की निंदा शुरू होती है, सारा दोष सिस्टमपर लाद दिया जाता है। लेकिन हमारे शासक चाहे जितनी अपनी पीठ थपथपा लें, इतिहास में उनका निकम्मापन दर्ज हो चुका है।

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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, समाज बांटने के प्रयोग कब तक ?

वाराणसी की जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद के अतीत की पड़ताल करने का निर्देश दिया है। उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991 के अनुसार, सभी आराधना स्थलों में वही यथास्थिति रहेगी जो स्वाधीनता के समय थी। ऐसी खबर

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क्यों बढ़ रहे हैं भारत में ईसाई अल्पसंख्यकों पर हमले ?

हाल में जारी अपनी रिपोर्ट में फ्रीडम हाउसने भारत का दर्जा फ्री’ (स्वतंत्र) से घटाकर पार्टली फ्री’ (अशंतः स्वतंत्र) कर दिया है। इसका कारण है भारत में व्याप्त असहिष्णुता का वातावरण और राज्य का पत्रकारों

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कुरआनी आयतों पर रिजवी का बयान गहरी साजीश का हिस्सा

त्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर यह मांग की है कि क़ुरआनकी 26 आयतों को इस पवित्र पुस्तक से हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे चरमपंथ को

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राजनीतिक पार्टीयों के लिए ‘धर्मनिरपेक्षता’ चुनावी गणित तो नही !

भारत को एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली। यह संघर्ष समावेशी और बहुवादी था। जिस संविधान को आजादी के बाद हमने अपनाया, उसका आधार थे स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के वैश्विक मूल्य।

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आरएसएस के स्वाधीनता संग्राम के हिस्सेदारी की पड़ताल

मारे देश के सत्ताधारी दल बीजेपी के पितृ संगठन आरएसएस के स्वाधीनता संग्राम में कोई हिस्सेदारी न करने पर चर्चा होती रही है। पिछले कुछ सालों में संघ की ताकत में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है और इसके साथ ही इस संगठन के कर्ताधर्ताओं ने

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‘धर्मनिरपेक्षता’ की व्याख्या करती हैं हमीद अंसारी की किताब

किताबीयत : बाय मेनी ए हैप्पी एक्सीडेंट

भारत का उदय विविधता का सम्मान करने वाले बहुवादी प्रजातंत्र के रूप में हुआ था। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हमारे संविधान में समुचित प्रावधान किये गए, जिनका खाका सरदार पटेल की अध्यक्षता वाली संविधान सभा की

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सांप्रदायिक राष्ट्रवाद को चुनौती देने वाले इतिहासकार डीएन झा

भारत इन दिनों निर्मित की गई नफरतोंकी चपेट में है। इस नफरत के नतीजे में समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर दलितों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरूद्ध हिंसा हो रही है। इन समुदायों के विरूद्ध नफरत भड़काने के लिए झूठ का

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