उर्दू मिठास तो है पर सही उच्चारण के बगैर महसूस नही होती!
उर्दू बुनियादी तौर पर उत्तर भारत की एक ‘अर्बन जुबान’ रही है। उसकी फोनोटिक पर, उसके सैटर्लिटी पर उसके नोअर्सिस पर सीरियसली काम किया गया है। इस हद तक कि आप यह सोचों गालिब की एक किताब है, जिसे उनके दो दोस्त थे, उन्होंने …
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