प्रेमचंद सांप्रदायिकता को इन्सानियत का दुश्मन मानते थे

हिन्दी-उर्दू साहित्य में कथाकार प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी धारा ही बदल कर रख दी। देश में वे ऐसे पहले शख्स थे, जिन्होंने हिन्दी साहित्य को रोमांस, तिलिस्म, ऐय्यारी

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