आज भी ‘हर जोर-जुल्म की टक्कर में’ गूंजता हैं शैलेंद्र का नारा

हिन्दी साहित्य में शैलेंद्र की पहचान क्रांतिकारी और संवेदनशील गीतकार के तौर पर है। वे सही मायने में जन कवि थे। उनकी कोई भी कविता और गीत उठाकर देख लीजिए, उसमें सामाजिक चेतना और राजनीतिक जागरूकता स्पष्ट दिखलाई देती है।

बाबा नागार्जुन,

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