समाज बुद्धिजीवी बने यहीं था मोईन शाकिर का सिद्धान्त
पंधरा साल का एक लडका घर कि अमीरी, रुतबा और तामझाम से तंग आकर हमेशा के लिए घर छोड देता हैं। जाते जाते अब्बू कहते हैं, “तूम जा तो रहे हैं, मगर तुम्हें इस घर से कुछ नही मिलेंगा। जमीन, जायदाद से तूम बेदखल …
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