तुलसीदास पर था मुग़लकालीन भाषा का प्रभाव

तुलसीदास भारतीय समाज में दो संस्कृतियों और दो भाषाओं के मेल से बन रहे नए समाज की भाषा के असल प्रतिनिधि कवि हैं। बावजूद इसके कि भक्तियुगीन अनेक संत कवियों ने ईश्वर के सभी उपलब्ध नामों का आदर किया और उनमें समान रूप से

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