सामाजिक-सांस्कृतिक जड़े हिलाने वाले ‘दलित पैंथर’ के पचास साल

त्ताधारियों द्वारा जाति वर्चस्व की मानसिकता को समर्थन दिया जाता है, मजदूर वर्ग में बेरोजगार युवाओं को उकसाया जाता है और दलितों पर हमले किए जाते हैं, यह हालात 50 साल पहले भी मौजूद थे। जब दलित पैंथर बना, तब से ही संगठन ने …

यहाँ क्लिक करें

नामदेव ढ़साल : नोबेल सम्मान के हकदार कवि

नामदेव ढ़साल कविताओ में तिखें शब्दों के इस्तेमाल के लिए जाने जाते हैं। मराठी का ये कवि विद्रोह का जिता जागता शोला था। जिसने न सिर्फ समाज मे पनपे ब्राह्मण्यवाद, उच-निच पर प्रहार किया बल्कि एक सांस्कृतिक नवजागरण भी दर्ज कराया, जो

यहाँ क्लिक करें