कृषि सुधार या किसानों के खात्मे की इबारत ?

राज्यसभा से :

माननीय वाइस चेयरमैन साहब, मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूँ कि प्रेमचंद के गोदान के जो गोबर और धनिया थे, अब वे उतने कमजोर नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि उनको समझ नहीं आ रहा है कि

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