दंभ और गुरूर का नाम ‘लोकतंत्र’ नही होता!

राज्यसभा से :

सभापति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि अपने मुझे महामहिम के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने का मौका दिया। दिक्कत यह है कि उनसे, जिनसे होती है इंसां को हमेशा तकलीफ, वे समझते हैं कि वे असल अक्ल वाले

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