क़ुरआन समझने की शर्त उसे खाली जेहन होकर पढ़े !

क़ुरआन अल्लाह की तरफ से उतारी गई एक दावती किताब है। अल्लाह तआला ने अपने एक बन्दे को सातवीं सदी ईसवीं की पहली तिहाई में एक ख़ास कौम के अंदर अपना नुमाइंदा बनाकर खड़ा किया और उसे अपने पैग़ाम की पैग़ाम्बरी (संदेशवाहन) पर मामूर

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