अनुवाद में मूल भाषा का मिज़ाज

अनुवाद में मूल भाषा का मिज़ाज क्यों जरुरी हैं ?

रसरी तौर पर देखने से लगता है की उर्दू टेक्स्ट का हिन्दी अनुवाद एक बहुत सरल काम है क्योंकि भाषा एक है। इसलिए केवल लिप्यंतरण से काम चल जाएगा। माना भी यही जाता है की उर्दू-हिन्दी और हिन्दी-उर्दू का अनुवाद लिप्यंतरण तक सीमित रहना

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