शाहिद आज़मी न्याय के लिए प्रतिबद्ध एक बेहतरीन वक़ील
साल 2010, 11 फ़रवरी को रात के क़रीब नौ का वक़्त रहा होगा। मुंबई से मेरे एक दोस्त का फोन आया- अज्ञात बंदूकधारियों ने शाहिद आज़मी को उनके दफ्तर में मार डाला। यह अवाक कर देने वाली खबर थी, जिस पर यकीन करना …
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