शकील बदायूंनी : वो मकबूल शायर जिनके लिये लोगों ने उर्दू सीखी

मैं शकीलदिल का हूं तर्जुमा,

कि मुहब्बतों का हूं राज़दां

मुझे फ़क्र है मेरी शायरी,

मेरी जिन्दगी से जुदा नहीं

शायर शकील बदायूंनी की गजल का यह शानदार शेर वाकई उनकी पूरी जिन्दगी और फलसफे की तर्जुमानी करता

यहाँ क्लिक करें