स्टेक होल्डर की निर्भरता पर लड़खड़ाती पत्रकारिता

त्रकारिता एक पेशेवर काम है। यह एक पेशा नहीं है। बल्कि कई पेशों को समझने और व्यक्त करने का पेशा है। इसलिए पत्रकारिता के भीतर अलग-अलग पेशों को समझने वाले रिपोर्टर और संपादक की व्यवस्था बनाई गई थी जो ध्वस्त हो चुकी है।

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न्यूज़ चैनलों के ग़ुलामों से संवाद समय की बर्बादी

प किससे उम्मीद कर रहे हैं? भारत का 99.999 प्रतिशत मीडिया गोदी मीडिया है। यह एक परिवार की तरह काम करता है। इस परिवार के संरक्षक का नाम आप जानते हैं। इस परिवार में सारे एंकर और चैनलों के मालिक अर्णब ही हैं।

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