इश्क के नर्म एहसास वाले बागी शायर थे जां निसार अख्त़र

जां निसार अख्त़र, तरक्कीपसंद तहरीक से निकले वे हरफनमौला शायर हैं, जिन्होंने न सिर्फ शानदार ग़ज़लें लिखीं, बल्कि नज़्में, रुबाइयां, कितआ और फिल्मी नगमें भी उसी दस्तरस के साथ लिखे। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 18 फरवरी, 1914 को

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जब जाँ निसार अख्त़र ने जादू के कान में पढ़ा ‘कम्युनिस्ट मेनिफिस्टो’

प्रसिद्ध शायर जाँ निसार अख्त़र शायर और फिल्मो के नगमानिगार जावेद अख्त़र के वालिद थें। जावेद अख्त़र नें अपने पिता के साथ रहे रिश्तों के बारे में हमेशा खुलकर कहां हैं।

निदा फाजली नें अपनी बायोग्राफी में उन दोनो पिता-पुत्र के रिश्तो को लेकर

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