इश्क के नर्म एहसास वाले बागी शायर थे जां निसार अख्त़र

जां निसार अख्त़र, तरक्कीपसंद तहरीक से निकले वे हरफनमौला शायर हैं, जिन्होंने न सिर्फ शानदार ग़ज़लें लिखीं, बल्कि नज़्में, रुबाइयां, कितआ और फिल्मी नगमें भी उसी दस्तरस के साथ लिखे। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 18 फरवरी, 1914 को

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कोरोना संकट या एक-दूसरे को बेहतर समझने का मौका

मारा देश ही नहीं बल्कि सारी दुनिया एक अजीब दौर से गुजर रही है। सुना है कि एक-दो सदी पहले भी ऐसी कुछ बीमारियां आई थी, जिसमें प्लेग था, उसने आधे यूरोप को साफ कर दिया था, मौत के घाट उतार दिया था।

लेकिन …

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साहिर की बरबादीयों का शोर मचाना फिजुल हैं

शायर जब जिन्दा होता हैं तो वह लोगों के लिए मरा हुआ होता हैं। और जब वह मर जाता हैं तो लोगों के लिए वह जिन्दा हो जाता हैं। जो लोग उससे मुँह फेरते थें वही उसके मरने के बाद उसपर कसिदे गढते हैं

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