इस्लामिक जीवन-पद्धती में सांस्कृतिक दृष्टिकोण

रवरी के 29 को पुणे के आजम कॅम्पस में नागरिकता कानून के खिलाफ जनसभा हुई। जिसमें जमात ए इस्लामी के नायब सदर एस. अमीनुल हसन ने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने अपने एक घंटे के तकरीर में मुसलमानों के कई सामाजिक मसलो पर बात की। जिसका एक भाग हनमे पहले हिस्से मे दिया था।

आज इस्लाम के सांस्कृतिक दृष्टिकोण की चर्चा हम आपके समक्ष रख रहे हैं। इस्लामी दर्शन में ज्ञान और संस्कृति को बडा महत्व दिया गय़ा हैं। पर बीते कुछ सालो से परंपरावादीयों न इसे दरकिनार कर धर्म आधारित फलसफे को अतिमहत्व दिया।

जिसके परिणाम स्वरुप मुस्लिम समाज अपने मुलाधार (रूट्स) से टुटता और बिखरता रहा। अमिनुल हसन नें अपने इस विशेष भाष्य में इस्लाम के ‘तहजीबे नजरिए’ पर विषेश चर्चा की हैं, पेश हैं उनके तकरीर का दूसरा भाग…  

दुनिया में इस्लाम जो फैला हैं उसकी वजह उसका ‘सांस्कृतिक दृष्टिकोण’ (Cultural Aspect) है। उसकी दूसरी वजह इस्लाम कि जिवन पद्धती (Civilization Aspect) है। इस्लामी तहजबी नजरिए में आर्ट है। पेंटिंग है। कहानियां है। नगमा गोरी है। शायरी है। यह कल्चरल अस्पेक्ट हर जमाने में मुसलमानों का साधन (Tool) रहा है। 

पैगम्बर मुहंमद (स) के खिलाफ उनके विरोधी हज्जू करते थें। याने अशआर के जरीए व्यंग (कविताओ के माध्यम से) करते थें। पैगम्बर ने हस्सान बिन साबित को उनके खिलाफ खड़ा किया और कहा “हसन तुम इन सब का जवाब दो।”

हजरत हसन ने अपने अशआर के माध्यम से उन सबका मुंह तोड़ जवाब दिया। ‘तहजबी नजरिया’ इस्लाम का यह सबसे बड़ा डायमेंशन है। सीएए के खिलाफ कर रहे शाहीन बाग के औरतों पर कुर्बान जाईए उन्होंने इस डायमेंशन को जिन्दा कर दिया हैं। वहां शायरी भी होती है। वहां आर्ट भी है। वहां पेंटिंग भी हो रही हैं।

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दिल्ली के इंडिया गेट पर देश भर के लोगों को नाज है। उसपर पहले विश्व युद्ध के शहीदों के नाम लिखे हैं। हमारे खवातीनों ने शाहीन बाग में एक छोटा सा इंडिया गेट बनाया है। उसपर उन्होंने नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन में जो लोग शहीद हुए हैं उनके नाम लिखे हैं। यह उनका कल्चरल डायमेंशन है। यह उनकी जहानत (योग्यता) हैं। 

आमिर अजीज नाम का जामिया मिलिया का एक नौजवान है, उसकी एक नजम बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुई। उसका शीर्षक है ‘सब याद रखा जाएगा।’ यह नजम बहुत ज्यादा पॉपुलर हुई है। दुनिया के सबसे फेमस रॉक बैंडस में शुमार Pink Floyd के फाउंडर और गिटारिस्ट रॉजर वॉटर्स ने इस नजम को अंग्रेजी में ट्रांसलेशन किया हैं।

इंग्लैंड के इस प्रसिद्ध पॉप स्टार ने उस नजम को लंदन के एक इव्हेंट में गाया। हमारे नौजवानों की ऐसी दमदार शायरी है। जो वक्त का बहुत बड़ा शायर, एक बहुत बड़ा पोएट, एक बहुत बड़ा गीतकार; वह खड़े होकर उसे इंग्लैंड में पढ़ रहा है।

यह शायरी, यह अदब, यह नगमा गोरी – यही हमारी विरासत है। उन्हें हमारी इसी शायरी से नफरत हैं। ‘हम भी देखेंगे’ यह जो तराना है उसमें यह कहा गया है ‘बस नाम रहेगा अल्लाह का।’ यह सुनने के साथ सबके चराग पर हो जाते हैं। इन लोगों के पैरो के निचे से जमिन खिसकने लगती हैं। आज भी इस शायरी में वजन हैं। हालांकि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कोई इस्लामी शायर नहीं थें। लेकिन आज उनके शायरी से लोग घबरा रहे हैं। 

आईआईटी में जहां सायन्स पर रिसर्च होना है। वहां सायंटिस्ट लोग ‘नाम रहे अल्लाह का’ यह जुमला क्यों आया इसपर रिसर्च करने बैठ गए हैं।


यह ताकत हैं कल्चरल डायमेंशन की। हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि इस तीसरे डायमेंशन में आर्ट, शायरी, पेंटिंग और भी बहुत से चीजे हैं उसे जिन्दा रखना हैं। इसे प्रोत्साहित करना हमारा काम है।

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हमे इस हुनर को बनाए रखना हैं। अनफॉर्चूनेटली हमारे यहां मां-बाप जहीन बच्चो को इंजीनियर और डॉक्टर बनाना चाहते हैं। पर उसे आर्टिस्ट, पेंटर नहीं बनाना चाहते। उसे शायर नहीं बनाना चाहते। पर अच्छी बात यह है कि इस आंदोलन के माध्यम से हमारा यह तीसरा डायमेंशन भी जिन्दा हो गया है। इसे बरकरार रखना हम सबकी जिम्मेदारी हैं।

पेश हैं आमिर अजीज कि वह नज्म –

सब याद रखा जाएगा, सबकुछ याद रखा जाएगा

तुम्हारी लाठियों और गोलियों से जो कत्ल हुए हैं

मेरे यार सब, उनकी याद में दिलों को बरबाद रखा जाएगा

सब याद रखा जाएगा

तुम स्याहियों से झूठ लिखोगे हमें मालूम है

हो हमारे खून से ही हो सही, सच लिखा जाएगा

सब याद रखा जाएगा

मोबाइल, इंटरनेट, टेलीफोन भरी दोपहर में बंद करके

सर्द अंधेरी रात में पूरे शहर को नज़रबंद करके

हथौड़ियां लेकर दफअतन मेरे घर में घुस आना

मेरा सर बदन, मेरी मुख्तसिर सी जिंदगी को तोड़ जाना

मेरे लख्ते जिगर को बीच चौराहे पर मारकर

यूं बेअंदाज़ सड़क पर खड़े होकर झुंड में तुम्हारा मुस्कुराना

सब याद रखा जाएगा, सबकुछ याद रखा जाएगा

दिन में मीठी-मीठी बातें करना सामने से

सब ठीक है हर जुबान में तुतलाना

रात होते ही हक मांग रहे लोगों पर लाठियां चलाना

गोलियां चलाना

हमीं पे हमला करके, हमीं को हमलावर बताना

सब याद रखा जाएगा, सबकुछ याद रखा जाएगा

यह भी याद रखा जाएगा कि किस-किस तरह से तुमने

वतन को तोड़ने की साजिशें कीं

यह भी याद रखा जाएगा कि किस-किस तरह से हमने

वतन को जोड़ने की ख्वाहिशें कीं

जब कभी भी जिक्र आएगा जहां में दौर-ए-बुज़दिली का

तुम्हारा नाम याद रखा जाएगा

जब कभी भी जिक्र आएगा जहां में तौर-ए-बुज़दिली का

हमारा नाम याद रखा जाएगा

हमारा नाम याद रखा जाएगा कि कुछ लोग थे

जिनके इरादे टूटे नहीं थे लोहे की हथौड़ियों से

कुछ लोग थे जिनके जमीर बिके नहीं थे

इज़ारेदारों की कौड़ियों से

कुछ लोग थे जो टिके रहे थे

तूफान-ए-नूह के गुज़र जाने के बाद तक

कुछ लोग थे जो जिंदा रहे थे

अपनी मौत की खबर आने के बाद तक

भले भूल जाए पलक आंखों को मूंदना

भले भूल जाए ज़मीं अपनी धुरी पे घूमना

हमारे कटे परों की परवाज़ को

हमारे फटे गलों की आवाज़ को

याद रखा जाएगा, सबकुछ याद रखा जाएगा

तुम रात लिखो, हम चांद लिखेंगे

तुम जेल में डालो, हम दीवार फांद लिखेंगे

तुम एफआईआर लिखो, हम हैं तैयार लिखेंगे

तुम हमें कत्ल कर दो, हम बनके भूत लिखेंगे

तुम्हारे कत्ल के सारे सबूत लिखेंगे

तुम अदालतों से चुटकुले लिखो

हम दीवारों पे इंसाफ लिखेंगे

बहरे भी सुनलें, इतनी जोर से बोलेंगे

अंधे भी पढ़ लें इतना साफ लिखेंगे

तुम काला कमल लिखो, हम लाल गुलाब लिखेंगे

तुम जमीं पे जुल्म लिख दो, आसमान पे इंकलाब लिखा जाएगा

सब याद रखा जाएगा, सबकुछ याद रखा जाएगा

ताकि तुम्हारे नाम पर लानतें भेजी जा सकें

ताकि तुम्हारे मुजस्समों पर कालिखें पोती जा सकें

तुम्हारे नाम तुम्हारे मुजस्समों को आबाद रखा जाएगा

सब याद रखा जाएगा, सबकुछ याद रखा जाएगा

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